बाउंसर परिवार का बिरयानी होटल ओपनिंग। bauncer parivar ka biryani hotal opening
बेलापुर नामक गांव में रोहन नाम का एक लड़का रहता था। रोहन के पिता की इच्छा थी कि उसका बेटा पढ़-लिखकर मैनेजर बने, लेकिन वह बहुत लापरवाह होने के कारण मां-बाप उसे बहुत समझाते थे पर वह सुनता ही नहीं था।
रोहन चोरी छिपे पिताजी की नजर से बचकर घर के लॉकर में से पैसे ले जाकर खर्चा कर देता था। यह देख उसके के पिताजी रोहन के दोस्त,
रॉकी और वंशी को बुलाकर अपना सारा दुख बताते हैं । यह सुनकर रॉकी बोला हां अंकल अभी तो थोड़ा ज्यादा ही लापरवाही करने लगा है वो हमारे बताने पर भी नहीं सुन रहा और कहता है सिर्फ एमएलए ही तो बनना है,
ऐसा ही बन जाऊंगा बस अच्छे कपड़े और महंगी गाड़ी रही तो बन जाऊंगा। पार्टी वाले खुद आकर टिकट देंगे मुझे,
ऐसा कहता है तब रोहन के पिताजी बोले -
क्या करूं बेटा घर में शादी के उम्र की लड़की है मेरी उम्र बढ़ रही है यह सारी दौलत क्या करेगा वो पता नहीं यह सोचकर डर लगता है।
वंशी बोला - हां अंकल इसकी ऐसे ही हरकत को ध्यान में रखकर अपने गांव का एक कम मेंबर बिरजू है ना वो इसके पास से जमकर पैसा लूट रहा है आप चिंता ना करें कुछ ना कुछ करके हम इसे रास्ते पर लाएंगे ऐसा कहता है अगले दिन एक बार में बिरजू और रोहन को शराब पीते हुए राख और वंशी देखते हैं और उसके पास जाते हैं और
रॉकी कहता है क्या करूं यार बड़ा झटका लगा है पड़ोस के गांव में दोस्त का बिरयानी का होटल ओपनिंग है एमएलओ को लेकर आता करके बोला पर अपने एमएलए तो दिल्ली जा रहे हैं शायद किसी काम से जा रहे होंगे अब क्या करूं समझ में नहीं आ रहा है मुझे यह सुनकर बिरजू एमएलए नहीं है तो क्या हुआ होने वाला एमएलए रोहन को लेकर जाएंगे तभी तुम्हारे दोस्त का परिचय बढ़ेगा ।
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और वैसे अपना भाई गांव के सभी लोगों को देखेगा और लोग भी इसे देखेंगे और तुम लोग भी इस कार्यक्रम में इसके बाजू में खड़े रहोगे तो अच्छा रहेगा
क्यों क्या कहते हो अपने भाई का प्रोग्राम कल के लिए फिक्स कर देंगे क्या कहता है।
यह सुन रॉकी बोला ठीक है और वहां से चला जाता है ।
अगले दिन होटल ओपनिंग के लिए बाउंसर्स के साथ में रोहन को लेकर बिरजू वहां आता है वहां होटल का मालिक इंतजार कर रहे थे वह देख रोहन उसके पास जाकर कैची लेकर रिबन काटने जाता है।
यह देख होटल का मालिक कैची को उसके हाथ से खींचकर रोहन को नीचे ढकेला तभी उसे बाउंसर्स उठाते हैं उतने में वहां दो गाड़ियों से एमएलए भी पहुंच जाते हैं ,
यह देख एमएलए के आदमी एमएलए जिंदाबाद, एमएलए जिंदाबाद एमएलए सर आगे बढ़ो हम तुम्हारे साथ हैं ऐसे नारे लगा रहे थे,
एमएलए को आता देख रोहन के बाजू खड़ा बिरजू भी एमएलए के पीछे जाकर खड़ा हो गया और नारे लगाने लगा।
अब एमएलए आकर होटल का रिबन काटता है और यह देखकर सभी तालियां बजाते हैं उसके बाद बद्री के साथ खड़े बाउंसर्स और कुछ लोग चिल्लाने लगते हैं।
होने वाले एमएलए की जय, होने वाले एमएलए की जय, होने वाले एमएलए आगे बढ़ो हम तुम्हारे साथ हैं यह सुनकर एमएलए के आदमी आ कर उनको वार्निंग देते हैं इससे वह लोग साइड में हो जाते हैं ,
इसके बाद एमएलए उसके गाड़ी से वापस चले जाते हैं बिरजू आकर रोहन को सॉरी बोलकर सबको बिरयानी ऑर्डर करता है अब रोहन ,बाउंसर्स लोग बिरजू बिरयानी मस्त है बोलकर जमकर खाते हैं एक-एक लोग तीन-चार बिरयानी खाते हैं इसके बाद रोहन बिल ना देकर वहां से जाने लगता है
तब होटल का मालिक नरेश उन्हें रोकता है और पैसे मांगता है यह देख रोहन बिरजू से कहा - क्या रे बिरजू तू एमएलए को देखकर उस के तरफ गया और होटल वाला मुझसे बिल कैसे मांग रहा है।
एमएलए से पैसे लेना था ना क्या है ये सब बिरजू
अरे वो एमएलए है रे और तू होने वाला एमएलए है और ये क्या रे अभी से बिरयानी के 10000 ऐसा बोल रहा है और अभी इन बाउंसर का 5000 भी देना बाकी है।
आज शाम तक तुझे न से ₹ लाख का खर्चा होगा कैश रेडी है कि नहीं बद्री ए क्या बोला रे तू पार्टी टिकट दिलाता बुला करके रोज एक क्वाटर पिलाकर तेरी बात मान रहा हूं अभी इतना खर्चा किस लिए भाई बिरजू देख हीरो अपन रोज बाहर में दारू पीते हुए वही रुक गए यह बाउंसर तो अभी शुरुआत है
अभी तो ओपनिंग के खर्चे बैनर के खर्चे लोगों की मदद करना लोगों के काम करना पार्टी फंड यह सब करके एमएलए बनना है
तुझको कितना पैसा चाहिए पता है?
क्या कम से कम 100 करोड़ चाहिए ,क्या तेरे पास हैं ?
तू ऐसे ही एमएलए नहीं बनेगा ऐसा कहता है यह सुनकर रोहन बोला - क्या माइला यह सब पहले क्यों नहीं बताया साल भर से मेरे पैसे से रोज पी रहा है,
और एमएलए से खास संबंध है। मेरे पास तू आज के बाद मेरे नजरों के सामने आया ना पता नहीं मैं तेरा क्या हल करूंगा।
चल निकल यहां से शाम को आकर मैं पैसे दे दूंगा इनको देख तेरे बाउंसर्स ये कैसे घूर रहे हैं ऐसे घुर रहे जैसे मेरे को भी मार देंगे
एक- एक लोग देख किसी सांड के जैसा बैठा हुआ खा रहा है ऐसा कहकर वह चला जाता है
वह सीधे आकर पिताजी को मस्का लगाकर उनके सामने गिड़गिड़ा कर पैसे लेकर बाउंसर्स को देकर कान पकड़ता है कि आज के बाद से फिर कभी राजकीय पार्टी या नेता बनने के चक्कर में नहीं पड़ूंगा यह सब देखकर पिता जी और रोहन के दोस्त खुश होते हैं और रोहन सुधर जाता हैं।

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