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कौआ की कहानी। hindi inspiration story

अपने ही रंग से नफ़रत करने वाले कौआ की कहानी-hindi inspiration story

दोस्तो,हम पढ़ेंगे एक ऐसा कौआ की कहानी जो अपने रंग से बहुत नफरत करता था फिर उसे एक संत ने सबक सिखाई और उसे जीने का मार्ग दर्शन कराया और वे अपने रंग से प्यार करने लगा।


तो एक बार की बात है हुआ यू कि एक कौआ था उसे अपने रंग को ना पसंद होने के कारण वे काफी दुखी और परेशान रहता था और एक जगह पर बैठकर रो रहा था।तभी साधु आया  

साधु ने कहा:-  रो क्यों रहा है?

कौआ:-  रोऊ नहीं तो क्या करू।  भगवान ने काला रंग दिया ये भी कोई रंग है लोग पालते भी नहीं जूठा खाना खिलाते है शराध में काम आता हूं और मैं जिस घर पर बैठकर काव-काव करूं तो लोग मुझे भगा देते है।

साधु:-  अगर जिंदगी ने फिर तुुुझे दुबारा मौका दिया तो क्या बनना पसंद करोगे ?

कौआ:-  अगर मुुुझे दुबारा मौका मिला तो मै हंस बनना पसंद करूंगा। वाह क्या रंग हैं उसका सफेद शांति का प्रतीक है।

साधु:-   मैंने तुझे आज हंस बनाया पहले जाकर हंस से मिल आओ। 

  (कौआ भागा भागा गया हंस के पास)

कौआ:-  हंस भाई क्या मस्त रहता है रे तू भगवान ने सफेद रंग दिया शांति का प्रतीक, पानी में पैनडल  मरता है किसी को पता ही नहीं की तू चल रहा है। वाह वाह कितना खुश रहता होगा।

हंस:-  कौन बोला रे तुझे की मैं खुश हूं?

कौआ:- खुश नही है?

हंस:-  बिल्कुल भी नही , ये भी कोई रंग दिया सफेेद मारने के बाद का रंग है। लोग तस्वीर खींचते है पानी मे मेंरी, पता ही नही चलता की तस्वीर मेरी खींच रहे या पानी की फोटो में आता ही नहीं सफेद मे सफेद मिल जाता हू ये भी कोई जिंदगी दी भगवान ने हालत खराब है।

(कौआ भागा भागा साधु के पास आया)

कौआ:-  साधु बाबा मामला गड़बड़ है। बाबा मुुुझे एक मौका और देदे बस तोता बना दे। वाह क्या चोच है क्या रंग है लोग उसे पलते है मिठ्ठू मिठ्ठू कह कर पुकारते है खाना भी खिलते है।

साधु:-  ठीक है मै तुुुझेे तोता बना दूूंगा पहले तोते से मिलकर आओ।

(कौआ तोते के पास जाता है।)
 
कौआ:-  अरे मिठ्ठू मिया क्या रंग है तेरा चोच भी लाल लाल लोग  तुुझको पालकर खाना खिलाते है। क्या मस्त रहता  होगा मस्त है तेरी  जिंदगी।

तोता:-  कौन बोल रे तुुुझेे ।

कौआ:-  खुश नहीं है?

तोता:-  बिल्कुल भी नहीं

कौआ:-  तुझे क्या परेशानी है।

तोता:-  बहुत परेशानी है। तुम पेड़ के चार चक्कर लगा गए तुुुझे मै नहीं दिखा।  बताओ जरा ये भी कोई रंग है हरा में हरा मिल जाता हूं लोग मुझे  देेेेखते नहीं।

( फिर तोता साधु बाबा के पास आता है)
     

कौआ:-  बाबा तोता भी खुश नहीं है अब मै क्या करू

साधु:-  अब बता कि तू क्या बनना  चाहता है।

कौआ:-  साधु बाबा ये आखरी मौका देेेदो बस मुुुझे मोर बना दो। क्या पंंख है आह..... लोग इंतजार करते है नाचेगी तो फोटो खिचुंगा। राष्ट्रीय पंक्षी भी है बस बना दो बाबा मोर।

साधु:-  मेरा फिर से वहीं शर्त है पहले मोर से पूछकर आओ कि मोर अपने  जिंदगी से खुुश है?

(कौआ भागा भागा मोर के पास जाता है)

कौआ:-  मोर क्या मस्त जिंदगी दी है ईश्वर ने तुझे वाह लोग इंतज़ारे करते है तेरे नाचने का और फोटो भी खींचते तेरी राष्ट्रीय पंक्षी है तू ।  बहुत मस्त तेरी  जिन्दगी है  वाह

मोर:-  कौन बोला रे तुझे की मै खुुुश हूं?😠😠😠😠

कौआ:-  खुश नहीं है तुझे क्या परेशानी है?

मोर:- दिक्कत ही दिक्कत है । ध्यान लगाकर सुन कोई आ रहा है।

कौआ:-  कौन आ रहा है?

मोर:-  शिकारी,  अब ये मेरा शिकार करके सारा पंंख मेरे जिश्म से निकाल  लेगा और  बजार में बेेेेेचकर पैसे कमाएंगा और लोग घरों में लगते है। ये भी कोई जीवन है। क्यों बनना चाहता है मोर?

कौआ:-  खुश नहीं है ?

मोर:-  अरे मेरे अगले  घंटे का  पता नहीं की मैं रहूं या ना रहूं। ये भी कोई जीवन है।

कौआ:-  तू बता कि तेरे हिसाब से खुश कौन है ।

मोर:-  तू सबसे ज्यादा खुश है।

कौआ:-  कैसे ?

मोर:-  तूने मटन बिरयानी सुनी , चिकन बिरयानी  सुनी, तुझे कोई जान का खतरा है 

कौआ:-  नहीं

मोर:-  मस्त जी रहा है जिंदगी तू । मेरा तो अगले घंटे का पता नहीं 

कौआ फिर कभी साधु के पास नहीं गया क्योंकि कौआ को अहसास हो गया कि सबके जीवन में तकलीफ है और रंग कोई मायने नहीं रखता इसलिए हमे अपने आप को कभी दूसरे से कम्पेयर नहीं करना चाहिए बल्कि यह सोचना चाहिए कि मेरे बढ़िया इस दुनिया में कोई नहीं है।

                            हमें उम्मीद रहेगा आपसे की आपको यह कहानी बहुत ही आकर्षक लगा होगा और इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि आपने आप को किसी से कम्पेयर नहीं करने चाहएं।


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