हनुमान जी की मजेदार कहानी- hindi motivation story
यह कहानी बहुत पुरानी है कहते है जब महर्षि वाल्मीकि एक वृक्ष के नीचे बैठकर रामायण लिख रहे थे और कुछ लोगो को सुना भी रहे थे। यह बात हनुमान जी को पता चला तो वो भी चुपके से गए और कम्बल ओढ़कर वहीं कुछ लोगों के बीच में बैठकर सुनने लगे। हनुमान जी को बड़ा मन लगता था और वे उस रामायण मे लिन होकर बड़े ध्यान से सुनते थे।
उन्हें ऐसा लगता था कि फिर से वही समय आ गया वहीं राम,लक्ष्मण,सीता,बली और सुग्रीव बहुत उत्साह था उसके मन में रामायण सुनने को क्योंकि कलयुग मे कोई मेरे भगवान राम की कोई गाथा गा रहा है। वे रोज वहां आते थे रामायण सुनने। एक समय आया जब वाल्मीकि जी ऐसा बात कह गए कि विवाद खड़ा हो गया,
वाल्मीकि जी बोले:- जब हनुमान अशोक वाटिका गए तो बहुत सुंंदर अशोक वाटिका थीं वहीं एक वृक्ष के नीचे सीता मईया बैठी हुई थी और सफेद रंग के बहुत सुन्दर-सुन्दर फूल खिले हुए थे।
हनुमान जी:- रुक जाओ वहीं आगे कुुछ मत बोलना। यहां तक तो ठीक लिखे हो लेकिन यह बात गलत लिख दिया जब हनुमान जी अशोक वाटिका गए तो फूल सफेद थे। फूल सफेद नहीं बल्कि लाल रंग के थे।
वाल्मीकि:- तुम कौन हो? लिख मै रहा हूं बोल तुम रहे हो और जो मैं जो लिख देता हु फिर दुबारा सुुुधार नहीं करता हूं फूल तो सफेद ही रहेंंगे।
हनुमान जी:- (कम्बल उतार दिया) मै ही हूं हनुमान मै ही गया था अशोक वाटिका मैंने देेेखा था फूल लाल रंग के थे। तुम्हारा सारा रामायण समझ में आता है परन्तु ये ग़लत है सुुुुधार करो।अपने आने वाले पीढ़ी को गलत सिखाओगे क्या?
वाल्मीकि:- मै नहीं मानता। फूल तो सफेद ही रहेंगे।
दोनों में बड़ा विवाद खड़ा हो गया इसका समाधान निकालने के लिए हनुमान जी ने अपने कंधे पर बैठाकर वाल्मीकि जी को राम जी के पास लेकर गया और बोला वहीं फैसला करेंगे। जब राम जी के पास पहुंचे तो सारा विवाद का मामला बताया
हनुमान:- हे प्रभु जब मै अशोक वाटिका गया था तो फूल लाल रंग के थे और ये महर्षि लिखते है कि फूल सफेद रंग के थे।
राम जी:- सबसे पहले तो छुप छुप के इनकी बाते नहीं सुननी चाहिए थी।अगर ये महर्षि लिख रहे है की फुल सफेद थी तो सही ही लिख रहे होगे बीच में बोलने क्या आवश्यकता थी।
हनुमान जी:- ये क्या बात हुई। न आप वहां गए थे और न ये महर्षि वहां गया था। गया तो मैं था वहां पर और मैं फिर कहता हूं की फूल लाल थे।
राम जी:- देेेखो हनुमान गुस्सा मत हो जो ये कह रहा है मैं लो ।
हनुमान जी:- सीता मा वह एक साल रही थी उन्हें से चलकर पूछते है।
वे दोनों सीता माता के पास गए
हनुमान जी:- माता ये वाल्मीकि है बहुत अच्छा रामायण लिखता है लेकिन इसने एक गलती कर दी ये बोलता है अशोक वाटिका के फूल सफेेद थे लेकिन जब मै वहां गया था तो फूल लाल रंग के थे ये मानने को तैयार ही नहीं है अब आप इसे बताइए।
सीता माता:- अगर सफेद लिख रहा है तो लिखने दो।तुम तो एक दिन के लिए गए थे मै तो एक साल थी।
हनुमान जी:- नहीं मा फूल तो लाल थी।
सीता माता:- तुम ठीक कहते हो, अपने जगह तुम बिलकुल सही हो। जब तुम लंका में आए अशोक वाटिका में मिलने तो तुम्हारे भगवान् के पत्नी को कोई हर लाया था तुम विध्वंस करने तैयार थे,मारने करने को भी तैयार थे।
तुम्हारे आंखे खून से सनी हुई थी इसलिए तुम्हें सफेद फूूल भी उस दिन लाल नजर आ रहे थे।


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