एक राजा और उसकी चार रानियों की कहानी:-
यह कहानी एक ऐसे राजा की है जिसके पास एक बहुत बड़ा साम्राज्य था और उस सम्राज्य के लिए बहुत बड़ी संख्या में सेना तैनात थे। राजा बहुत ही कुशल और सम्पन्न था किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं थी। उनकी चार पत्नियॉ थी जिसमें पहली पत्नी को छोड़ दिया था वे बाकी तीन पत्नियों के साथ रहता था। कुछ वर्ष साथ रहे खुशी वो पल बिताए, आखिरकार वो पल आया जब राजा बूढ़ा हो चला था और वे थोड़ा बीमार भी रहता था ऐसे में राजा से वैध जी ने कहा कि अब आपका बहुत कम दिन बचा है आप आराम कीजिए या फिर अपने बचे हुए दिन सन्यासी होकर जंगलों में बिताए।
राजा ने उनकी बात को मान लिया और राजा अपना राज पाठ छोड़ अपने बड़े बेटे को संभालने के लिए सौंप दिया और राजा सन्यासी बनने का फैसला किया ऐसे में उसे एक सहायता के लिए साथी आवश्यकता थी। राजा की चार रानियां थी वे चाहता था कि इनमें से किसी एक के साथ संन्यास ले लिया जाए।
राजा के चौथी पत्नी जिससे सबसे अंत मे विवाह किया था जिससे बेइंतेहा मोहब्बत करता था उसके कमरे में जाकर बड़े ही उम्मीद से कहा- रानी मै संन्यास लेने वाला हूं। क्या तुम मेरे साथ जंगलो में चलने के लिए तैयार हो?
रानी ने जंगल जाने से साफ साफ मना कर दी, और बोली कि आपको जहा भी जाना है जाए मै कही नहीं जाऊंगी बल्कि यही रहूंगी महल में। इस बात से राजा को बहुत ही दुःख हुआ वो सोचने लगा कि जिससे इतना प्यार किया वो मुझे ऐसा बोल गई। राजा निराश होकर वहा से चला गया।
अब राजा तीसरी रानी के पास जाता है और कहता है कि मैं तुमसे बहुत प्यार करते है मैं अपने जिंदगी के बचे दिन सन्यासी होकर जंगलों में बिताना चाहता हूं। क्या आप मेरे साथ चलने के लिए तैयार है? रानी बोली- ये कैसी बातें कर रहे है आप महल में ही क्यों नहीं जिंदगी बिता देते जंगलों क्या जरूरत है जाने का। अगर आपको महल में रहना है तो मैं आपके साथ हूं लेकिन जंगलों जाएंगे तो मै आपके साथ नहीं जाऊंगी मै दूसरी शादी कर लूंगी ।राजा यहां भी उदास और मायूस हो गया फिर उन्होंने
अपनी दुसरी रानी के पास उनके महल में गया जिनसे वह दूसरा विवाह किया था। राजा सोचने लगा हमारी ये रानी बड़ी बुद्धिमान है क्योंकि ये हमारे राज्य के फैसले और सलाह देने मे बहुत मदद करती थी। राजा अपनी दूसरी रानी के पास बहुत ही उम्मीद से गया।राजा ने रानी से वही बात कहीं जो सभी रानी कहा कि रानी मै संन्यास ले रहा हूं हमारी बची हुई दिन जंगलों में बिताना चाहता हु क्या आप मेरे साथ चलोगी?
दूसरी रानी बोली- राजा साहब बड़ा मन था आपके साथ चलने को लेकिन मै नहीं जा सकती हूं। मैं आपके सारे फैसले में साथ दिया लेकिन यहां आपका साथ नहीं दूंगी बल्कि एक काम कर सकती हूं कि आपके इस दुनिया के छोड़ जाने के बाद अंतिम दह संस्कार बड़े ही सजावट के साथ धूमधाम से करवा दूंगी। आपको जहां जाना है जाइए, तपस्या करना है कीजिए पर मै नहीं जाऊंगी।
जब राजा वहां से भी उम्मीद खोकर अपने कमरे में जा रहा था तभी एक आवाज आई। राजा साहब चलिए आपको कहां चलना है मैं आपके साथ चलने के लिए तैयार हूं बताए की कितने दिनों तक जंगलों में चलना है। जब राजा पीछे मुड़कर सर उठाकर देखा तो वो उसकी पहली पत्नी थी जिसके शरीर पर कोई गहने नहीं थे बिल्कुल कमजोर सी थी जिससे राजा पहली बार विवाह किया था जिससे एक समय में बेइंतेहा मोहब्बत करता था जिसे सबसे ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत थी लेकिन राजा को उसे छोड़ देने अब एहसास हुआ राजा मन ही मन अपने को शर्मिंदगी मसुस कर रहा था और राजा जनता था कि अगर मेरा कोई ध्यान रखेगा तो वो है मेरी पहली पत्नी बाकी सब तो मना कर दी सन्यासी होने से।
राजा गलती होने के कारण अपने पहली पत्नी से माफी मांगी और वे उसके साथ जंगल चला गया।
मुझे पूरा उम्मीद है कहानी आपको दिल को छू लिया होगा और सिख भी लिया होगा कि हमारे जिन्दगी में हमेशा पहली पत्नी ही सबका ध्यान और और सबको खुशी रख सकती है।
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