ऐसे लड़के की कहानी जो अपने भाग्य(किस्मत) की तलाश करने निकला था।
एक खुशहाल गांव में एक लड़का रहता था जिनके पिता जी गुजर चुके थे और उस लड़के के मां भी नहीं थी। वे लड़का अपने पिता जी के कमाए हुए सारे पैसे मस्ती करने में खत्म कर देता है अब उसके पास पैसे भी नहीं बचते है कि वे खाना भी खरीदकर खा सके और जब भी वह कुछ काम करने की सोचता है
तो उसमें असफल हो जाता है इस कारण से वह लड़का एक दिन अपने घर के बाहर बैठकर बहुत जोर-जोर से, छाती पीट पीटकर रोने लगता है और अपने भाग्य को कोषने लगता है कि ये कैसा भाग्य है मेरा मैं जब भी कुछ काम करने की कोशिश करता तो असफल हो जाता हूं मेरा कोई साथ नहीं देता।
ये सब बाते बोल ही रहा था कि तभी वहां से एक विद्वान पंडित गुजर रहा था उसने देखा कि ये लड़का अपने भाग्य(किस्मत) को कोष रहा है और छाती पीटकर रो रहा है। पंडित लड़के के पास जाकर बोलता है कि ये जो तुम छाती पीटकर रो रहे हो और अपने भाग्य को कोष रहे हो तुम्हारे इसी हरकत से नाराज़ होकर भाग्य तुमसे दूर चला गया है अब तुम जाओ अपने भाग्य की तलाश में और उसे वापस लाओ क्योंकि जब भाग्य (किस्मत) तुम्हारे जिंदगी में होगा तभी तुम्हारी जिंदगी बदलेगी।
उस पंडित की बातों पर लड़का हसने लगता है और बोलता है कि ये कैसी पागलों वाली बाते कर रहे हो भाग्य को मै कहा ढूंढू। उसके बातो को लड़का मजाक बना देता है और नज़र अंदाज कर देता है। जब वह लड़का रात में सोता है तो वह अपने सपने में देखता है है कि एक भाग्य सा लड़का पहाड़ों पर से इसकी छाती पर कूदता है और उस लड़के को ही दोष देने लगता है, तभी लड़के की नींद खुलती है
फिर लड़का समझ जाता है कि भाग्य तो है और वो पहाड़ों पर रहता है। लड़का चल देता है पहाड़ों की तरफ अपने भाग्य को वापस लाने जिससे की लड़के के जिंदगी में फिर से खुशियां आ सकें। रास्ते में सबसे पहले उसे एक जंगल दिखा, लड़का शेर से बचकर चुपके-चुपके जा रहा था तभी शेर को लड़का दिखा और बोला कि डरो नहीं मैं तुम्हारा शिकार नहीं कर सकता क्योंकि मैं बहुत सालों से बीमार हूं चल-फिर नहीं सकता वैसे तुम जा कहा रहे हो ?
लड़का:- मैं पहाड़ी के चोटी पर जा रहा हूं क्योंकि वहां मेरा भाग्य रहता है उसे लाना है ताकि फिर से मेरे जिंदगी में खुशियां आ सके।
शेर:- जब वहां जा ही रहे हो और तुम्हे तुम्हारा भाग्य मिल जाए तो उससे मेरा एक सवाल पूछना की मेरे इस बीमारी का इलाज क्या है। मैं तुम्हे बड़ा ईनाम दूंगा।
लड़का:- ठीक है मैं तुम्हारा जवाब लेकर आऊंगा।
लड़का कुछ दूर और चलता है तो देखता है कि एक झरने के पास फलों का बगीचा है। लडके को भूख लगा था तो वह फल तोड़कर जैसे ही काटता है वह तुरंत थूक देता है और कहता है कि यह फल बहुत कड़वा है। तभी बगीचे का मालिक आता है वो भी बोलता है कि हां भाई साहब इस बगीचे के सारे फल कड़वे है इस कारण से मैं बहुत परेशान रहता हूं।
वैसे तुम कहां जा रहे हो। लड़का बोलता है कि मैं पहाड़ों के चोटी पर जा रहा हूं क्योंकि वहां मेरा भाग्य रहता है उस वापस लाना है ताकि फिर से हमारी खुशियां आ सके।
बगीचे का मालिक:- जब जा ही रहे हो तो अपने भाग्य से मेरा एक सवार पूछना की इस बगीचे का फल मीठा कैसे होंगे। इसके बदले मैं तुम्हे ईनाम दूंगा।
लड़का:- ठीक है।
फिर लड़का चल देता है। पहाड़ की चोटी पर पहुंचने वाला होता है तभी उसे एक सुंदर-सा महल दिखाई देता हैं उस महल में थोड़ा आराम करने के लिए जाता है। उसी महल में एक सुंदर-सी कन्या थी वह कन्या लड़के से बोलती है कि मैं बहुत परेशान हूं मेरे पास इतना बड़ा महल है फिर भी मैं उदास रहती हूं, जिंदगी में खुश नही हूं। वैसे तुम कहां जा रहे हो?
लड़का:- बस मैं चोटी पर पहुंचने वाला हूं वहां मेरा भाग्य रहता उसे अपने साथ लेकर आऊंगा ताकि मेरे जिंदगी में खुशियां आ सके।
लड़की(कन्या):- अगर तुम्हे तुम्हारा भाग्य मिल जाय तो मेरा एक सवाल पूछना की मै खुश कब रहूंगी?
लड़का:- अच्छा ठीक है।
वे लड़का वहा से तीनों का सवाल लेकर पहाड़ के चोटी की ओर चल देता है। लड़का जैसे ही चोटी पर पहुंचता है वह लड़का एक दम चौक जाता है और देखता है कि वहां सच में एक भाग-सा आदमी था। लड़का जाकर प्रणाम करता है और बोलता है कि महाराज मेरे साथ चलो मेरे जिंदगी से खुशियां और पैसा चला गया है।लड़का उन तीनों के सवाल का जवाब भी पूछ लेता है फिर भाग्य कहता है सुनो मै तुम्हारे साथ नहीं आ सकता बल्कि तुम्हारे पीछे आ सकता हूं। लड़का बोला ठीक है।
लड़का चोटी से उतरकर सबसे पहले महल में जाता है और उसका जवाब दे देता है फिर वह फल के बगीचे के मालिक के पास जाता है और उसका भी जवाब दे देता है, अंत में शेर के पास जाता है तो तुरंत शेर पूछता है तुम्हारा यात्रा कैसा रहा?
लड़का:- यात्रा अच्छा था। तुम्हारी तरह दो और लोग थे जो सवाल पूछे थे मैं उन सबका जवाब लेकर आया था।
शेर:- क्या सवाल और क्या जवाब थे उनके।
लड़का:- जिससे सबसे आखरी में मिला था वो एक महल की कन्या थी उनके सवाल का जवाब था कि जिस दिन वो मनचाहे लड़के से शादी करेगी उसके जिंदगी में खुशियां वापस आ जाएगी।
शेर:- तुम्हे उस कन्या ने इनाम दिया?
लड़का:- हां मीला। वो बोल रही थी कि तुम मुझसे शादी कर लो ईनाम में ये तुम्हारा महल हो जाएगा।
शेर:- फिर तुमने क्या किया?
लड़का:- हमने सब कुछ छोड़ दिया क्योंकि मेरा भाग्य मेरे पीछे आ रहा था।
शेर:- अब तुम्हे कौन मिला और उसका क्या जवाब था?
लड़का:- अब मुझे बगीचे का मालिक मिला। उसका सवाल का जवाब था कि झरने के पीछे सोना रखा है उसे वहां से हटा देने से वहां का पानी साफ हो जाएगा और बगीचे के सारे फल मीठे हो जाएंगे।
शेर:- क्या उस बगीचे के मालिक ने तुम्हे कुछ ईनाम दिया?
लड़का:- हा, वो कह रहा था कि रुक जाओ थोड़ा देर सोना निकालकर तुम्हे दे देता हु लेकर जाओ और मेरे बगीचे के फल भी मीठे हो जाएंगे।
शेर:- फिर तुमने क्या किया?
लड़का:- छोड़ दिया क्योंकि मेरा भाग्य मेरे पीछे आ रहा था।
शेर:- अब तुम बताओ कि मेरे सवाल का क्या जवाब मिला।
लड़का:- तुम्हारे सवाल का जवाब यह था कि जब तुम दुनिया के सबसे मूर्ख व्यक्ति का शिर खा लेंगे उस दिन से आपकी बीमारी ठीक हो जाएंगे।
फिर क्या था शेर ने ना आंव देखा ना ताव छलांग लगाया और लड़के के शिर फाड़ दिया। शेर ने खाते-खाते बोला की लड़का तुझसे मूर्ख और कहां मिलेंगे।
यह छोटी सी कहानी हमें यही सिखाती है कि अगर हम अपने भाग्य के भरोसे बैठे रहे तो हमारे हाथ से अच्छे से अच्छे मौके भी हाथ से निकल जाएंगे इसलिए लोग कहते है कि भाग्य के भरोसे मत बैठो जो हासिल करना है अपने मेहनत के दाम पर करो और मेहनत पर ही भरोसा रखो।
radhakrishn
ReplyDeleteHallo
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