नेक दिल के राजा की कहानी। Motivation and inspiration Hindi story
एक राज्य में बहुत ही नेक दिल का राजा हुआ करता था। वह अपने राज्य की विकास करता और लोगो की परेशानियां दूर करता था उसकी आदत थी, कि वह अपने राज्य में भेस बदलकर लोगों की खैर-ख़बर लिया करता था,एक दिन अपने वज़ीर के साथ घूमते हुए शहर के किनारे पर पहुंचा तो देखा एक आदमी जमीन पर लेटा पड़ा है।
राजा उसके पास गया और हिलाकर देखा तो वह मर चुका था लोग उसके पास से गुज़र रहे थे, राजा ने लोगों को आवाज़ दी लेकिन कोई भी उसके नजदीक नहीं आया क्योंकि लोग राजा को पहचान नहीं पाए
राजा ने वहां रह रहे लोगों से पूछा क्या बात है? इसको किसी ने क्यों नहीं उठाया? लोगों ने कहा यह बहुत बुरा और गुनाहगार इंसान है ।
राजा ने कहा ये भी तो इंसान ही है,
और उस आदमी की लाश उठाकर उसके घर पहुंचा दी, और उसकी पत्नी को लोगों के रवैये के बारे में बताया ।
उसकी पत्नी अपने पति की लाश देखकर रोने लगी, और कहने लगी "मैं गवाही देती हूं मेरा पति बहुत नेक इंसान है"
इस बात पर राजा को बड़ा ताज्जुब हुआ कहने लगा "यह कैसे हो सकता है? लोग तो इसकी बुराई कर रहे थे और तो और इसकी लाश को हाथ तक लगाने को भी तैयार नहीं थे?"
उसकी पत्नी ने कहा "मुझे भी लोगों से यही उम्मीद थी, दरअसल हकीकत यह है कि मेरा पति हर रोज शहर के शराबखाने में जाता शराब खरीदता और घर लाकर नालियों में डाल देता और कहता कि चलो कुछ तो गुनाहों का बोझ इंसानों से हल्का हुआ,
और रात में इसी तरह एक वेश्या के पास जाता और उसको एक रात की पूरी कीमत देता और कहता कि अपना दरवाजा बंद कर लो ताकि कोई तेरे पास ना आए घर आकर कहता भगवान का शुक्र है,आज उस औरत और नौजवानों के गुनाहों का मैंने कुछ बोझ हल्का कर दिया, लोग उसको उन जगहों पर जाता देखते थे,
मैं अपने पति से कहती "याद रखो जिस दिन तुम मर गए लोग तुम्हें नहलाने तक नहीं आएंगे,ना तुम्हारी अर्थी को कंधा देने आएंगे । वह हंसते और मुझसे कहते कि घबराओ नहीं तुम देखोगी कि मेरी अर्थी भगवान करे कि राजा और नेक लोग उठाएंगे
यह भी पढ़े:- अमीर आदमी की कहानी।
यह सुनकर राजा रो पड़ा और कहने लगा मैं ही राजा हूं, कल हम इसको नहलायेंगे, इसकी अर्थी को कंधा देंगे और इसका दाह संस्कार भी करवाएंगे।
राजा कहने लगा भगवान का बहुत ही शुक्र है जो हमने आदमी में शव को उसके घर लाया नहीं लोगो के बातो में आकर गलत फैसला लेकर मैं भी औरो की तरह उसे वहीं छोड़ देता
किसी को गलत समझने से पहले देख लिया करें कि वह गलत है भी कि नहीं? और हमारे सही या ग़लत कहने से सही ग़लत नहीं हो जायेगा और जो ग़लत है वो सही नहीं हो जायेगा।
हम दूसरों के बारे में फैसला करने में महज़ अपना वक़्त ज़ाया कर रहे हैं बेहतर ये है कि अपना कीमती वक़्त किसी की बुराई करने की बजाय अच्छी सोच के साथ परोपकार में लगाएं
शिक्षा - किसी को गलत समझने से पहले एक बार उसके हालात समझने की कोशिश जरुर करे, की वह सच में ऐसा है या नही।
Comments
Post a Comment